करूणा भरल ई गीत हम्मर - Karuna Bharal Ee Geet Hammarr: A Heartfelt Maithili Poem Introduction To करूणा भरल ई गीत हम्मर Welcome to Sahityashala, the hub of literature and poetic expression. Today we bring you a soul-stirring Maithili poem titled " Karuna Bharal Ee Geet Hammarr " (A Song Filled with Compassion), written in a raw, emotional tone. This poem reflects on lost dreams, the fading fragrance of life, and the eternal pain carried in silence. We've also provided its Hinglish transliteration for wider accessibility and engagement. 📌 If you enjoy deep regional poetry, check out this curated list of Indian language poems Original Karuna Bharal Ee Geet Maithili Poem: करूणा भरल ई गीत हम्मर, प्राणकेर झंकार। दए रहल छी हम जगतकें अश्रुटा उपहार। सोचने छलहुँ दुनियाँ बसाबी, सोचने छलहुँ नन्दन लगाबी, स्वप्न छल जे बस उतारी स्वर्ग हम साकार। हेरा गेल सभ कल्पना अछि, मेटा गेल सभ भावना अछि, आइ नन्दन केर जगह पर ठाढ़ बस झंखार। प्यास छल, जे अमृत पीबी, प्यास छल जे स्नेह पाबी, धारण...
Bhaavik Peedhi Dard - भावी पीढ़ीक दर्द Maithili Poems By Upendra Doshi मीत ! अहाँक व्यवस्था बड़ तीत- इएह कहबा लेल हम बेर-बेर साहस क’ क’ जाइत छी मुदा, अहाँक कंचन-कादम्बक रसमे ओझरा क’ हम जिलेबीक रसमे अकबकाइत माछी भ’ जाइत छी अहाँक ‘जी हँ, जी हँ’क हेतु अभ्यस्त हमर जीह दोसरक व्यवहारक माधुर्यक भोग कर’ नहि दैत अछि। दोसरक यशःकाय शरीर लग पद-धूलि जकाँ झर’ नहि दैत अधि। मीत ! जखन-जखन अपन पुरखाक अरजल कर्जक दर्द हमर दड़कल करेजमे उठैत अछि, त’ भावी पीढ़ीक दर्द मोन पड़ि जाइत अछि आ’ अपन दर्दक संग हम भावी पीढ़ीक दर्दक अज्ञात पीड़ा भोग’ लगैत छी। अतीतकें तमसक गर्तमे गोंतनिहार , वर्तमान पर काजर पोतनिहार, आ भविष्य पर प्रश्न-चिन्ह टँगनिहार अहाँक दलाली नीति सभकें बूझल छैक। राजा जनकक धरती चीड़ब आ’ सीताकें धरतीसँ उपजि पुनि धरतीयेमे समा जाएब- किताबक पन्ना जकाँ खूजल छैक। तें, होइए चिकड़ि क’ गर्दमिसान क’ दी- ओ अजन्मा भगीरथ ! पहिने पीढ़ीक उद्धार करू तखन एहि बिकायलि धरती पर पैर धरू ओना, अहाँक नाम, महाजनक खातामे टिपा गेल अछि, सूदि सहित मूर सभ लिखा गेल अछि, जन्म लेवा सँक नाम, महाजनक खातामे टिपा गेल अछि, सूदि सहित ...