Jug Jug Jiya Su Lalanwa – Maithili Sohar Lyrics, Meaning & Cultural Analysis
मिथिला की लोक-संस्कृति में शिशु का जन्म केवल एक पारिवारिक घटना नहीं होता—यह पूरे घर और कुल के भाग्य के जागरण का उत्सव होता है। ऐसे ही पावन अवसर पर गाया जाने वाला एक अत्यंत प्रसिद्ध मैथिली सोहर (Sohar) है — “जुग जुग जियसु ललनवा” (Jug Jug Jiya Su Lalanwa)।
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| A mother gently blessing her newborn while women sing the Maithili Sohar “Jug Jug Jiya Su Lalanwa” — a traditional birth song of Mithila. |
यह गीत किसी मंदिर या मंच के लिए नहीं, बल्कि आँगन, किवाड़ और घरेलू स्त्रियों की सामूहिक स्मृति के लिए रचा गया है। मैथिली परंपरा में ललनवा शब्द केवल पुत्र नहीं, बल्कि नवजात शिशु—पुत्र या पुत्री—दोनों के लिए प्रेम, आशा और वंश-दीपक का प्रतीक है।
मैथिली परंपरा में “सोहर” क्या है?
सोहर वे लोकगीत हैं जो शिशु-जन्म के अवसर पर गाए जाते हैं। ये गीत स्त्रियों द्वारा आँगन में, सामूहिक स्वर में, बिना मंचीय आडंबर के गाए जाते हैं। जहाँ विवाह गीतों (Vivah Geet) में विदाई की कसक होती है, वहीं सोहर में आगमन का उल्लास होता है।
यही सांस्कृतिक प्रवाह आगे चलकर विद्यापति (Vidyapati) जैसे कवियों की भावभूमि बनता है, जहाँ मानवीय संवेदना लोक और साहित्य के बीच सेतु बनती है।
जुग जुग जियसु ललनवा – मैथिली सोहर (मूल पाठ)
जुग जुग जियसु ललनवा,
भवनवां के भाग जागल हो,
ललना लाल होई हैं,
कुलवा के दीपक,
मनवा में आस लागल हो॥
आजु के दिनवां सुहावन,
रतिया लुभावन हो,
ललना दिदिया के होरिलवा जन्में ले हो,
होरिलवा बड़ा सुन्दर हो॥
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| A symbolic birth-ritual scene from Mithila — the newborn rests as a diya burns nearby and women sing a Sohar to bless new life. |
नकिया त हवे जैसे बाबुजी के,
अंखिया ह माई के हो,
ललन मुहवा चनवा सुरुजवात,
सगरो अंजोर भइले हो॥
सासु सुहागिन बड भागिन,
अन धन लुटावेली हो,
ललना दुअरा पे बाजेला बधइया,
अँगनवा उठे सोहर हो॥
नाची नाची गावेली बहिनिया,
ललन के खेलावेली हो,
ललना हँसी हँसी टिहुकी चलावेली,
रस बरसावेली हो॥
Jug Jug Jiya Su Lalanwa – Hinglish / Roman Lyrics
Jug jug jiyasu lalanwa,
Bhavanwa ke bhaag jaagal ho,
Lalna laal hoi hain,
Kulwa ke deepak,
Manwa mein aas laagal ho॥
Aaju ke dinwa suhaawan,
Ratiya lubhawan ho,
Lalna didiya ke horilwa janme le ho,
Horilwa bada sundar ho॥
Nakiya ta hawe jaise babuji ke,
Ankhiya ha maai ke ho,
Lalan muhwa chanwa surujwaat,
Sagro anjor bhaile ho॥
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| An elder woman leads the Maithili Sohar “Jug Jug Jiya Su Lalanwa” as the newborn rests in a wooden cradle — a living ritual of Mithila. |
Saasu suhaagin bad bhaagin,
An-dhan lutaaveli ho,
Lalna duara pe bajela badhaiya,
Anganwa uthe sohar ho॥
Naachi naachi gaaveli bahiniya,
Lalan ke khelaaveli ho,
Lalna hansi hansi tihuki chalaaveli,
Ras barsaaveli ho॥
लोक-शैली प्रस्तुतियाँ (Videos)
इस सोहर को शारदा सिन्हा और ग्रामीण कलाकारों ने अपनी आवाज दी है।
Sharda Sinha (Official)
Women's Group (Folk)
Village Style
Traditional Recorded
निष्कर्ष
“जुग जुग जियसु ललनवा” केवल एक लोकगीत नहीं, बल्कि मिथिला की सामूहिक स्मृति, स्त्री-स्वर और जीवन-उत्सव का प्रतीक है। जिस तरह हनुमान बाहुक स्वास्थ्य की कामना है, वैसे ही यह सोहर वंश की समृद्धि का आशीर्वाद है। इसे सही संदर्भ में समझना और प्रस्तुत करना ही इस परंपरा के प्रति सच्चा सम्मान है।
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