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दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ: पारंपरिक मैथिली विवाह गीत (Lyrics & Meaning) | Mithila Vivah Geet

मिथिला की संस्कृति, यहाँ के लोकगीत और यहाँ की मिठास पूरी दुनिया में अद्वितीय है। विवाह संस्कार में जब नई नवेली दुल्हन (दुलहिन) ससुराल की गलियों में कदम रखती है, तो यह गीत 'दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ' (Dulhin Dhire Dhire Chaliyau) एक मीठी हिदायत और स्वागत के रूप में गाया जाता है।

Maithili wedding rituals depicting the marriage of Ram and Sita from the Ramayan TV series, illustrating the Paon Pujai ceremony.
'दुल्हा धीरे-धीरे चल्यो' जैसे गीत इन्ही पारंपरिक रस्मों की शोभा बढ़ाते हैं।

जिस प्रकार महाकवि विद्यापति ने मैथिली साहित्य को ऊंचाइयों पर पहुँचाया, उसी प्रकार हमारे पारंपरिक विवाह गीतों ने हमारी संस्कृति को जीवित रखा है। नीचे इस प्रसिद्ध गीत के लिरिक्स, हिंग्लिश अनुवाद और पीडीएफ डाउनलोड लिंक दिए गए हैं।

Maithili Lyrics: Dulhin Dhire Dhire Chaliyau

दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ ससुर गलिया,
दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ ससुर गलिया।

ससुर गलिया हो, भैंसूर गलिया,
दुलहिन सासु सँ बोलियौ मधुर बोलिया।
दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ ससुर गलिया।

मधुर बोलिया हो, अनार कलिया,
मधुर बोलिया हो, अनार कलिया।
दुलहिन ननदि के दियौ हजार डलिया,
दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ ससुर गलिया।

हजार डलिया हो, गुलाब कलिया,
हजार डलिया हो, गुलाब कलिया।
दुलहिन सर्बस लुटैइयौ देवर गलिया,
दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ ससुर गलिया।

मंगल-गाऊ भेटल सब सखिया,
मंगल-गाऊ भेटल सब सखिया।
दूल्हा-दुलहिन अटल रहै बढ़िया,
दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ ससुर गलिया।

ससुर गलिया हो, अनारक कलिया,
दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ ससुर गलिया।

Dulhin Dhire Dhire Chaliyau Lyrics (Hinglish)

Dulhin dheere-dheere chaliyau sasur galiya,
Dulhin dheere-dheere chaliyau sasur galiya.
Sasur galiya ho, bhainsur galiya,
Dulhin saasu san boliyau madhur boliya.
Dulhin dheere-dheere chaliyau sasur galiya.

Madhur boliya ho, anaar kaliya,
Madhur boliya ho, anaar kaliya.
Dulhin nanadi ke diyau hazaar daliya,
Dulhin dheere-dheere chaliyau sasur galiya.

Hazaar daliya ho, gulaab kaliya,
Hazaar daliya ho, gulaab kaliya.
Dulhin sarbas lutaiiyau devar galiya,
Dulhin dheere-dheere chaliyau sasur galiya.

Mangal-gaau bhetal sab sakhiya,
Mangal-gaau bhetal sab sakhiya.
Doolha-dulhin atal rahai badhiya,
Dulhin dheere-dheere chaliyau sasur galiya.

Sasur galiya ho, anaarak kaliya,
Dulhin dheere-dheere chaliyau sasur galiya.

हिंदी भावार्थ (Meaning in Hindi)

इस गीत में वधु (दुल्हन) को ससुराल में प्रवेश करते समय दी जाने वाली सीख और आशीर्वाद का वर्णन है:

  • धीरे-धीरे चलना: यह केवल गति की बात नहीं है, बल्कि जीवन के नए अध्याय में धैर्य और समझदारी से कदम रखने का प्रतीक है।
  • मधुर बोलिया: दुल्हन को सास और बड़ों से मीठी वाणी बोलने की सलाह दी गई है, क्योंकि वाणी ही रिश्तों को जोड़ती है।
Artistic painting of Lord Ram and Sita standing together, representing the tradition of Maithili Vivah Geet and Mithila culture.
मिथिला में हर विवाह राम-सीता के विवाह का ही प्रतिबिंब माना जाता है। (In Mithila, every wedding is seen as a reflection of Ram and Sita's union.)
  • अनार और गुलाब की कली: दुल्हन की कोमलता और सुंदरता की तुलना फूलों की कलियों से की गई है।
  • देवर और ननद: देवर और ननद के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार (हजार डलिया और सर्वस लुटाना) परिवार में खुशी लाता है।

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यदि आपको मैथिली साहित्य में रुचि है, तो आप बाबा नागार्जुन की कविताएं और पारंपरिक नचारी भी पढ़ सकते हैं। इसके अलावा, गोठ बिछनी जैसी कविताएं ग्रामीण जीवन का अद्भुत चित्रण करती हैं।

निष्कर्ष: बेटी से पतोहू बनने का सफर

मित्रों, 'दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ' केवल एक लोकगीत नहीं है, बल्कि यह एक बेटी के 'पतोहू' (कुलवधू) बनने की भावनात्मक यात्रा है। मिथिला की संस्कृति में एक नई नवेली दुल्हन के लिए ससुराल का आंगन नया होता है, रास्ते अनजान होते हैं, और जिम्मेदारी का भार 'अनार की कली' जैसा नाजुक होता है।

यह गीत सिखाता है कि जीवन के इस नए अध्याय में उतावलापन नहीं, बल्कि धैर्य और मधुरता (Sweetness) की आवश्यकता है। सास, भैंसूर (जेठ), और ननद के साथ मधुर व्यवहार ही एक स्त्री को घर की 'लक्ष्मी' बनाता है। साहित्यशाला का यह प्रयास है कि हम अपनी इस मैथिली लोक संस्कृति को डिजिटल युग में भी जीवित रखें।

अगली बार जब किसी विवाह में जाएँ, तो डीजे के शोर के बीच इन पारंपरिक गीतों को गाना न भूलें। यही हमारी असली पहचान हैं।

Watch & Listen: Dulhin Dhire Dhire (Video)

Frequently Asked Questions (FAQ)

1. 'दुलहिन धीरे-धीरे चलियौ' गीत का क्या अर्थ है?

इस गीत का अर्थ है कि नई दुल्हन को ससुराल में धैर्य और संभलकर कदम रखना चाहिए। उसे अपनी सास और ननद से मीठी बोली बोलनी चाहिए ताकि वह सबका दिल जीत सके।

2. यह गीत विवाह की किस रस्म में गाया जाता है?

यह गीत मुख्य रूप से 'गृह प्रवेश' (Griha Pravesh) के समय या विदाई के बाद जब वधु ससुराल पहुँचती है, तब गाया जाता है। यह वधु के स्वागत और उसे दी जाने वाली सीख का मिश्रण है।

3. 'अनार कलिया' और 'गुलाब कलिया' का प्रयोग क्यों किया गया है?

गीत में दुल्हन की तुलना 'अनार की कली' और 'गुलाब की कली' से की गई है, जो उसकी कोमलता, सुंदरता और नाजुकता को दर्शाता है।

जय मिथिला! जय मैथिली!
- हर्ष नाथ झा (संपादक, साहित्यशाला)

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