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गोठ बिछनी - यात्री (नागार्जुन) | Maithili Poems

 गोठ बिछनी

नागार्जुन की कविता

MAITHILI POEMS

बीछि रहल छैं बंगोइठा तों
घूमि घामि कएँ बाध-बोनमे
पथिआ नेने भेल फिरई छैं
तिनू खूट, चारिओ कोनमे
मैल पुरान पचहथ्थी नूआ
सेहो फाटल चेफड़ी लागल
देहक रङ जमुनिआ, तइपर
मुँह माइक गोटीसँ दागल

गोठ बिछनी - यात्री (नागार्जुन) | Maithili Poems
गोठ बिछनी - यात्री (नागार्जुन) | Maithili Poems

बगड़ा जेना लगाबाए खोंता
तेहने रुच्छ केस छउ तोहर
दू छर हारी मात्र गराँमे
केहने विचित्र भेस छउ तोहर

माघक ठार, रौद बैसाखक
तोरा लेखे बड़नी' धन सन
दीन बालिके अजगुत लागए
केहेन कठिन छउ तोहर जीवन

कने ठाढ़ी हो, सुन कहने जो
नाम की थिकउ, कतए रहइ छैं
बीतभरिक भए कोन बेगतें
एते कष्ट आ दुक्ख सहई छैं 

नागार्जुन पर कुछ और हिंदी कवितायेँ

नागार्जुन की हिंदी कवितायेँ | Nagarjun Poems In Hindi

Maithili Poems By Nagaarjun 

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