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जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पसेनाक गुण-धर्म - वैद्यनाथ मिश्रा "यात्री"

पसेनाक गुण-धर्म वैद्यनाथ मिश्रा "यात्री" मैथिलि कविता  Nagaarjun "Yatri" Maithili Poems क्षार-अम्ल विगलनकारी, दाहक रेचक, उर्वरक... रिक्शाबलाक पीठ दिशुका फाटल तार-तार बनियाइन पसेनाक अधिकांश गुण धर्मकेँ कए रहल अछि प्रमाणित मोन होइए हमरा विज्ञानक कोनो छात्रसँ जा कँए पुछिअइन- बेशी सँ बेशी की सभ होइत छइक पसेनाक गुण-धर्म! रिक्शाबलाक पोठक चाम आओर कते शुष्क श्याम हेतइ? स्नयुतंतुक ऊर्जा आओर कते धरकतइ? एहि नरवाहनक प्राणशक्ति आओर कते सिद्ध हेतइ? आओर कत्ते क्षार- अम्ल, दाहक - विगलनकारी...   - यात्री

सुजन नयन मनि - यात्री

सुजन नयन मनि वैद्यनाथ मिश्रा "यात्री" मैथिलि कविता  Nagaarjun "Yatri" Maithili Poems सुजन नयन मनि सुनु सुनु सुनु धनि मथित करिअ जनि पिअ हिअ गनि गनि शित शर हनि हनि, सुनु सुनु सुनु धनि मनमथ रथ बनि विपद हरिअ तनि शुभ सद गुन धनि सुनु सुनु सुनु धनि सुजन नयन मनि   - यात्री

एत जप-तप हम की लागि कयलहु - विद्यापति

एत जप-तप हम की लागि कयलहु   विद्यापति मैथिलि नचारी महेशवाणी आ नचारी

प्रेयसी - वैद्यनाथ मिश्रा "यात्री" मैथिलि कविता

प्रेयसी / यात्री वैद्यनाथ मिश्रा " यात्री " मैथिलि कविता  Nagaarjun "Yatri" Maithili Poems

बूढ़ा वर - "यात्री" मैथिलि कविता | Boodha Var Maithili Poem

बूढ़ा वर / यात्री "यात्री" मैथिलि कविता वैद्यनाथ मिश्रा "यात्री" मैथिलि कविता

नागार्जुन की मैथिली कविता 'विलाप' (अर्थ सहित) | Vilap by Nagarjun

नागार्जुन की प्रसिद्ध मैथिली कविता: विलाप विलाप - Vilap बाबा नागार्जुन: मैथिली के 'यात्री' बाबा नागार्जुन (मूल नाम: वैद्यनाथ मिश्र) को हिंदी साहित्य में उनके प्रगतिशील और जनवादी लेखन के लिए जाना जाता है। 'सिंदूर तिलकित भाल' जैसी उनकी हिंदी कविताएँ जितनी प्रसिद्ध हैं, उतना ही गहरा उनका मैथिली साहित्य में 'यात्री' उपनाम से दिया गया योगदान है। मैथिली उनकी मातृभाषा थी और उनकी मैथिली कविताओं में ग्रामीण जीवन, सामाजिक कुरीतियों और मानवीय संवेदनाओं का अद्भुत चित्रण मिलता है। 'विलाप' कविता का परिचय नागार्जुन की 'विलाप' (Vilap) मैथिली साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक और प्रसिद्ध कविता है। यह कविता, उनकी अन्य मैथिली कविताओं की तरह ही, सामाजिक यथार्थ पर गहरी चोट करती है। 'विलाप' का मुख्य विषय समाज की सबसे दर्दनाक कुरीतियों में से एक— बाल विवाह (Child Marriage) —और उसके फलस्वरूप मिलने वाले वैधव्य (Widowhood) की पीड़ा है। यह कविता एक ऐसी ही बाल विधवा की मनोदशा का सजीव चित्रण करती है। नान्हिटा छलौँ, दूध पिबैत रही राजा-रानीक कथा सुनैत रही घर-आँग...

वंदना - वैद्यनाथ मिश्रा "यात्री" मैथिलि कविता | Vandana Maithili Poem

वंदना वैद्यनाथ मिश्रा "यात्री" मैथिलि कविता  Nagaarjun "Yatri" Maithili Poems

कविक स्वप्न -"यात्री" मैथिलि कविता

कविक स्वप्न "यात्री" मैथिलि कविता वैद्यनाथ मिश्रा "यात्री" मैथिलि कविता