Maithili Kavita Maithili Poems By Nagaarjun विलाप नान्हिटा छलौँ, दूध पिबैत रही राजा-रानीक कथा सुनैत रही घर-आँगनमे ओंघड़ाई छलौँ, कनिया-पुतरा खेलाइ छलौँ, मन ने पड़ै अछि, केना रही लोक कहै अछि, नेना रही माइक कोरामे दूध पिबैत बैसलि छलौँ उँघाइत झुकैत परतारि क' मड़वा पर बहीन ल' गेल की दन कहाँ दन भेलै, बिआह भ' गेल पैरमे होमक काठी गड़ल सीथमे जहिना सिन्नूर पड़ल वर मुदा अनचिन्हार छला फूसि न कहब, गोर नार छला अवस्था रहिन्ह बारहक करीब पढब गुनब तहूमे बड़ दीब अंगनहिमे बजलै केदन ई कथा सुमिरि सुमिरि आई होइये व्यथा सत्ते कहै छी, हम ने जनलिअइ हँसलिअइक ने, ने कने कनलिअइ बाबू जखन मानि लेलथीन सोझे वर्षे दुरागमनक दिन सिखौला पर हम कानब सीखल कपारमे मुदा छल कनबे लीखल सिन्नूर लहठी छल सोहागक चीन्ह हम बुझिअइ ने किछु उएह बुझथीन्ह रहै लगलौं भाइ-बहीन जकाँ खेलाय लगलौं राति-दिन जकाँ कोनो वस्तुक नहीं छल बिथूति कलेसक ने नाम दुखक ने छूति होम' लागल यौवन उदित होम' लागल प्रेम अंकुरित बारहम उतरल, तेरहम चढ़ल ज्ञान भेल रसक, सिनेह बढ़ल ओहो भ' गेला बेस समर्थ बूझै लगला संकेतक अर्थ सुखक दिन लगिचैल अबैत रहै मन...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें