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जुनि करू राम विरोग: विद्यापति गीत | भावार्थ और हिंदी अनुवाद (Lyrics & Meaning)

कल्पना कीजिए एक ऐसी रात की, जहाँ नींद में देखा गया एक सपना किसी विशाल साम्राज्य के पतन की भविष्यवाणी बन जाए। मैथिली साहित्य के अनमोल खजाने में, महाकवि विद्यापति का गीत "जुनि करू राम विरोग" एक ऐसी ही कालजयी रचना है।

आमतौर पर हम महाकवि विद्यापति को उनके श्रृंगार रस या भगवान शिव की नचारी के लिए जानते हैं। लेकिन, यह गीत हमें 'रामायण' के उस प्रसंग में ले जाता है जहाँ लंका की रानी मंदोदरी (या संभवतः त्रिजटा) एक भयावह स्वप्न देखती हैं। यह स्वप्न लंका के विनाश और प्रभु श्रीराम की विजय का संकेत है।

Lanka Dahan and Ram Setu Cinematic Visualization
A cinematic depiction of the "Kanchan Gadh" (Golden Fortress) ablaze.

सदियों से गाया जाने वाला यह गीत आज भी प्रासंगिक है। साहित्याशाला (Sahityashala) के इस ब्लॉग में, हम इस गीत के मूल बोल, इसका विस्तृत हिंदी भावार्थ और इसके साहित्यिक महत्व का विश्लेषण कर रहे हैं।


गीत: एक नज़र में

  • रचनाकार: महाकवि विद्यापति (कोकिल)
  • शैली: मैथिली लोकगीत / पद
  • मुख्य प्रसंग: रामायण (लंका दहन की भविष्यवाणी)
  • भाव: चेतावनी और भविष्य-दर्शन

जुनि करू राम विरोग: मूल मैथिली गीत

जुनि करू राम विरोग हे जननी
सुतल छलहुँ सपन एक देखल
देखल अवधक लोक हे जननी

दुइ पुरुष हम अबइत देखल
एक श्यामल एक गोर हे जननी

कंचन गढ़ हम जरइत देखल
लंकामे उठल किलोल हे जननी

सेतु बान्ह हम बन्हाइत देखल
समुद्र मे उठल हिलोर हे जननी

हिंदी भावार्थ और विश्लेषण (Meaning in Hindi)

विद्यापति की लेखनी में गागर में सागर भरने की क्षमता है। आइये, इस गीत की प्रत्येक पंक्ति का अर्थ और उसके पीछे छिपे साहित्यिक संकेतों को समझें।

1. चेतावनी और स्वप्न (The Warning)

पंक्ति: "जुनि करू राम विरोग हे जननी..."
अर्थ: हे जननी (माता/सम्माननीय स्त्री), राम से वियोग या शत्रुता मत कीजिये। यहाँ वक्ता (संभवतः मंदोदरी रावण को, या त्रिजटा सीता को) समझा रही है कि राम से बैर करना विनाशकारी होगा। उसने सोते हुए एक स्वप्न देखा है जिसमें अवध (अयोध्या) के लोगों का आगमन हुआ है।

2. दो राजकुमारों का आगमन

पंक्ति: "दुइ पुरुष हम अबइत देखल, एक श्यामल एक गोर हे जननी"
अर्थ: "मैंने सपने में दो पुरुषों को आते हुए देखा। उनमें से एक साँवले (श्यामल/श्रीराम) हैं और दूसरे गोरे (लक्ष्मण) हैं।"

साहित्यिक नोट: राम और लक्ष्मण के रूप का यह वर्णन हिंदी और मैथिली साहित्य में अत्यंत लोकप्रिय है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, आधुनिक काल में बाबा नागार्जुन ने भी अपनी कविताओं में मिथिला की माटी और राम-कथा के ऐसे ही बिम्बों का प्रयोग किया है।

3. सोने की लंका का दहन

पंक्ति: "कंचन गढ़ हम जरइत देखल, लंकामे उठल किलोल हे जननी"
अर्थ: "मैंने सोने के किले (कंचन गढ़) को जलते हुए देखा है। पूरी लंका में हाहाकार (किलोल) मचा हुआ है।"
यह पंक्ति स्पष्ट रूप से हनुमान जी द्वारा किये गए लंका दहन की ओर इशारा करती है। विद्यापति ने यहाँ स्वप्न के माध्यम से भविष्य को वर्तमान में घटित होते हुए दिखाया है।

4. समुद्र पर सेतु

पंक्ति: "सेतु बान्ह हम बन्हाइत देखल, समुद्र मे उठल हिलोर हे जननी"
अर्थ: "मैंने समुद्र पर पुल (सेतु) बंधते हुए देखा है और समुद्र में उठती हुई विशाल लहरें (हिलोर) देखी हैं।"

Video: Traditional singing of Juni Karu Ram Virog
💡 संपादक की राय: यह गीत केवल एक भजन नहीं, बल्कि 'स्वप्न-संकेत' (Dream Symbolism) का उत्कृष्ट उदाहरण है। जैसे हम आधुनिक हिंदी कविता बादल को घिरते देखा है में प्रकृति का विराट रूप देखते हैं, वैसे ही यहाँ विद्यापति ने नियति का विराट रूप दिखाया है।

निष्कर्ष (Conclusion)

विद्यापति का यह गीत सिद्ध करता है कि वे केवल श्रृंगार के ही नहीं, बल्कि भक्ति और वीर रस के भी अद्भुत चितेरे थे। "जुनि करू राम विरोग" हमें सिखाता है कि अहंकार (रावण) चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, सत्य (राम) के सामने उसका पतन निश्चित है। यह गीत मिथिला की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है।

Traditional Indian painting of the dream sequence in Vidyapati's song
Traditional painting illustrating the dream sequence described in Vidyapati's song.

यदि आप विद्यापति के अन्य रूपों को देखना चाहते हैं, तो शिव भक्ति पर आधारित उनकी प्रसिद्ध नभ नचारी भी अवश्य पढ़ें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. 'जुनि करू राम विरोग' गीत के रचयिता कौन हैं?

इस गीत की रचना मैथिली कोकिल महाकवि विद्यापति ने की है। यह उनकी पदावली का एक दुर्लभ रत्न है।

2. इस गीत में 'कंचन गढ़' का क्या अर्थ है?

'कंचन' का अर्थ सोना और 'गढ़' का अर्थ किला होता है। यहाँ यह रावण की 'सोने की लंका' को दर्शाता है जिसे हनुमान जी ने जलाया था।

3. क्या यह गीत रामायण पर आधारित है?

हाँ, यह गीत रामायण के सुंदरकाण्ड और युद्धकाण्ड की घटनाओं (लंका दहन और सेतु निर्माण) की भविष्यवाणी करता है।

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