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जुनि करू राम विरोग हे जननी | Vidyapati Maithili Geet

जुनि करू राम विरोग हे जननी | Vidyapati Maithili Geet


जुनि करू राम विरोग हे जननी
सुतल छलहुँ सपन एक देखल
देखल अवधक लोक हे जननी
दुइ पुरुष हम अबइत देखल
एक श्यामल एक गोर हे जननी
कंचन गढ़ हम जरइत देखल
लंकामे उठल किलोल हे जननी
सेतु बान्ह हम बन्हाइत देखल
समुद्र मे उठल हिलोर हे जननी

जुनि करू राम विरोग हे जननी | Vidyapati Maithili Geet


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