भारत माता: बाबा नागार्जुन 'यात्री' की प्रसिद्ध मैथिलि कविता | Bharat Mata Poem by Nagarjun
बाबा नागार्जुन (यात्री) की मैथिलि कविता
विश्वभरिमे विदित नाम अहाँक!
कान्तियो नयनाभिराम अहाँक!
केहन उज्ज्वल मा! अहाँक अतीत
भेलहुँ अछि पुनि कोन भयसँ भीत?
जलधि-वसने! हिम-किरीटिनि देवि!
तव चरण-पंकज युगलकेँ सेवि,
लोक कहबै अछि अरे! तिहुँ लोक!
अहीं केँ चिन्ता, अहीकेँ शोक!!
कहू जननी कियै नोर बहैछ
छाड़ि रहलहुँ अछि कियै निःश्वास?
कोन आकस्मिक विषादक हेतु
भै रहल अछि मूँह एहन उदास?
यात्री
मैथिलि देशभक्ति कवितायेँ
भारत माता पर मैथिलि देशभक्ति कविता
कवि परिचय: बाबा नागार्जुन 'यात्री
हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम कवि बाबा नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था। मैथिली साहित्य में वे अपने उपनाम 'यात्री' से प्रसिद्ध हुए।
उनका जन्म 1911 में बिहार के मधुबनी जिले के तरौनी गाँव में हुआ था। उन्हें "जनकवि" (जनता का कवि) के रूप में जाना जाता है क्योंकि उनकी कविताएँ आम लोगों के जीवन, उनके संघर्ष और सामाजिक यथार्थ को गहराई से दर्शाती हैं।
'यात्री' जी ने हिन्दी और मैथिली दोनों भाषाओं में समान अधिकार के साथ लिखा। मैथिली में उनके कविता-संग्रह जैसे 'पत्रहीन नग्न गाछ' (जिसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला) और 'चित्रा' बहुत प्रसिद्ध हैं। 'भारत माता' उनकी सबसे चर्चित मैथिली देशभक्ति कविताओं में से एक है, जो उनकी गहरी राष्ट्रीय चेतना और प्रगतिशील विचारों को प्रकट करती है।



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