इजोत लए - गंगेश गुंजन
Ejot Lay - Gangesh Gunjan Ji Dwara Maithili Kavita
अन्हरिए जकाँ विचार
उतरबा-पसरबामे होइत अछि इमानदार
एहन नहि होइत अछि जे ओ अपन भगजोगनी,
तरेगन, निःशब्द सन-सन स्वर कतहु अन्तः ध’ क’
चलि अबैत अछि मनुक्खक एहि धरती पर
नापरवाह बा चलाकीमे।
....पक्ष-विपक्षक लोकतांत्रिक चरित्र जकाँ
बँटैत-बाँटैत सन कहाँ अछि अन्हार जेना
समस्त विधायिका-न्यायपालिका-कार्यपालिका,
अर्थात संसद-न्यायालय-मंत्रालय।
...भरल धरतीक कोनो मानचित्रमे
ने पवित्र अन्हार, ने पुण्यात्मा प्रकाश
ने शुद्ध रातिक सन्नाटा
ने दिनक कार्यान्दोलित ऊँच बजैत बजार
ने अखण्ड अभिप्राय जकाँ भाषा
ने शुद्ध हृदयक बोल
ने ठीकसँ नगाड़ा, ने पूरा ढोल।
.... भरि गाम पंचायत,
भरि प्रात, विधान सभा-परिषद्
भरि देश संसद, सभा
समूचा सत्र धुपछाँही संवाद-प्रतिवाद
भरि देश गाँधी, देश भरि गुजरात।
आखिर एना, ई की बात ?
...जबर्दस्त मीडिया-माया
...दारूण कार्य-कलापमे
किएक एना-घोर मट्ठा
किएक नहि किछु राफ-साफ
के अछि कोम्हर
एम्हर कि ओम्हर
बाम कि दहिन ठाढ़
साफ बुझा रहल अछि-अनदेखार
दच्छिन एक रत्तीट बामा दिस टगल
बाम टगल दहिना
मध्यमे विराजमान एक रत्तीी बामक
भुक-भुक इजोत उजागर अछि-
दक्षिणक रंग बिरंगक अन्हार।
सोचैत छी, बड़ दिनसँ सोचैत छी
ठीक-ठीक कही तँ, पचीसमे बरखक वयससँ
सोचैत आबि रहल छी-
कोनो तेहन बड़का लग्गी होइत
आ मेघमे लगा क’ झखा लितहुँ जामुन गाछी जकाँ
समस्त राति
मनुक्खक विचार भेल, दुस्सह अन्हारमे पर्यंत
एखनहुँ देखार
...प्रज्जवलित दू-तीन-चारि रंगक फकफाइत
संपूर्ण अस्तित्वकें, झाँपि क’ क’ दिअए अस्तित्वशेष
लोकक आँखि-मन आ माथमे
कतहु ने गड़ए चक्कू कि भाला जकाँ
नहि करए शोनिते शोनिताम
गोधरा ने हमरा गाम।
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