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Bhaavik Peedhi Dard - भावी पीढ़ीक दर्द | Maithili Poems By Upendra Doshi | उपेन्द्र दोषी

Bhaavik Peedhi Dard - भावी पीढ़ीक दर्द

Maithili Poems By Upendra Doshi

 मीत !

अहाँक व्यवस्था बड़ तीत-

इएह कहबा लेल

हम बेर-बेर साहस क’ क’ जाइत छी

मुदा, अहाँक कंचन-कादम्बक रसमे

ओझरा क’ हम

जिलेबीक रसमे अकबकाइत

माछी भ’ जाइत छी

अहाँक ‘जी हँ, जी हँ’क हेतु

अभ्यस्त हमर जीह

दोसरक व्यवहारक माधुर्यक

भोग कर’ नहि दैत अछि।

दोसरक यशःकाय शरीर लग

पद-धूलि जकाँ झर’ नहि दैत अधि।

Bhaavik Peedhi Dard - भावी पीढ़ीक दर्द | Maithili Poems By Upendra Doshi | उपेन्द्र दोषी

मीत !

जखन-जखन अपन पुरखाक

अरजल कर्जक दर्द

हमर दड़कल करेजमे उठैत अछि,

त’ भावी पीढ़ीक दर्द मोन पड़ि जाइत अछि

आ’ अपन दर्दक संग हम भावी पीढ़ीक

दर्दक अज्ञात पीड़ा भोग’ लगैत छी।

अतीतकें तमसक गर्तमे गोंतनिहार,

वर्तमान पर काजर पोतनिहार,

आ भविष्य पर प्रश्न-चिन्ह टँगनिहार

अहाँक दलाली नीति सभकें बूझल छैक।

राजा जनकक धरती चीड़ब आ’

सीताकें धरतीसँ उपजि

पुनि धरतीयेमे समा जाएब-

किताबक पन्ना जकाँ खूजल छैक।

तें, होइए चिकड़ि क’

गर्दमिसान क’ दी-

ओ अजन्मा भगीरथ !

पहिने पीढ़ीक उद्धार करू

तखन एहि बिकायलि धरती पर पैर धरू

ओना, अहाँक नाम,

महाजनक खातामे टिपा गेल अछि,

सूदि सहित मूर सभ लिखा गेल अछि,

जन्म लेवा सँक नाम,

महाजनक खातामे टिपा गेल अछि,

सूदि सहित मूर सभ लिखा गेल अछि,

जन्म लेवा सँ पूर्वहि अहाँक

जीवन बिका गेल अछि।

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उपेन्द्र दोषी

Bhaavik Peedhi Dard - भावी पीढ़ीक दर्द  Maithili Poems By Upendra Doshi  उपेन्द्र दोषी

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